मानसिक विकलांगता : दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं
परिवर्तन की मानसिक यात्रा हमें सफलता की ओर ले चलती है। यदि हमें जीवन की बाधाओं से पार पाना है और सफल होना है तो हमें इस मानसिक यात्रा में भागीदार होना पड़ेगा जहां हम नये विचारों को आत्मसात कर सकें और किसी भी अवरोध को अवरोध मानने की मानसिक विकलांगता से बच सकें। इसी से हम सफल होंगे, समाज सफल होगा, देश सफल होगा। स्वीडिश मूल के धावक गुंडर हैग (Gunder Hagg) एक प्रतिभाशाली धावक थे जो 86 वर्ष की उम्र में सन् 2004 में इस दुनिया से विदा होकर परम धाम की यात्रा पर चले गए। सन् 1940 में उन्होंने धावक के रूप
आजाद भारत के असली सितारे- जिनकी आज पुण्यतिथि है
गाँधी मार्ग का चरम उत्कर्ष : बाबा आमटे----- मार्क्सवादियों के यहाँ एक शब्द प्रचलित है डीक्लास होना। स्वेच्छा से यदि कोई डीक्लास होता है अर्थात उच्च वर्ग से निम्न वर्ग में शामिल होता है तो यह बड़े सम्मान की बात मानी जाती हैं, त्याग और संगठन के प्रति निष्ठा का प्रमाण तो यह होता ही है। शोषितों के हित की लड़ाई यदि ईमानदारी से लड़नी है तो उनके साथ जुड़ना पड़ेगा और उनसे जुड़ने के लिए उनके जैसा होना पड़ेगा। बाबा आमटे ( 26.12.1914- 9.2.2008) ऐसे ही डीक्लास होने वाले महापुरुष थे। वे एक बड़े जमींदार के ब
महाराष्ट्र की महानायिका सावित्रीबाई फुले
महाराष्ट्र के लोकसमाज में सावित्रीबाई फुले का जीवन स्त्रियों के लिए सदैव प्रेरणास्पद रहा है। उनका जीवन एक ऐसी अद्बितीय मशाल है, जिसने स्वयं प्रज्वलित होकर भारतीय नारी को पहली बार सम्मान के साथ जीना सिखाया। सावित्रीबाई ने समय के उस कठिनतम दौर में काम शुरू किया था जब धार्मिक अंधविश्वास, रूढ़िवाद, अस्पृश्यता, दलितों और स्त्रियों पर मानसिक तथा शारीरिक अत्याचार अपने चरम पर थे। बाल-विवाह, सती प्रथा, बेटियों को जन्मते ही मार देना, विधवा स्त्रियों के साथ तरह-तरह के अमानुषिक व्यवहार, अनमेल विवाह, बहुपत्री
गेब्रियल गर्सिया मार्खेज
मार्केज़, मार्खेज़, माक्र्वेज़ स्पैनिश में जो भी उच्चारण रहा हो लेकिन यह निर्विवाद तथ्य है कि गैब्रिरियल गार्सिया मार्केज़ एक प्रतिष्ठित उपन्यासकार एवं कहानीकार थे। क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का ऐतिहासिक बयान है- अगर दुबारा जन्म लेना पड़ा तो मैं गैबो की ज़िदगी जीना चाहूंगा। 17वीं सदी में मिग्यूएल दा कारवांतेस के बाद स्पैनिश भाषा के सर्वाधिक लोकप्रिय लेखक माने जाने वाले और कोलंबिया में पैदा हुए गार्सिया मारकेज ने विश्व साहित्य में वह दर्ज़ा हासिल किया जो मार्क ट्वेन और चाल्र्स डिकन्स को
भारत-रत्न विश्वेश्वरैया की कर्मठता
भारत-रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया विख्यात इंजीनियर एवं कुशल प्रशासक थे। कठिन से कठिन समस्या को हल करने की उनमें अद्भुत क्षमता थी। देश में कहीं भी कोई कठिन समस्या हो, डॉ. विश्वेश्वरैया हल करने के लिये सहर्ष तैयार हो जाते थे। देश की सेवा ही डॉ. विश्वेश्वरैया की तपस्या थी। इनका जन्म 15 सितम्बर 1861 ई. को मैसूर के मुद्देनहलमी गांव में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा चिकबल्लापुर में हुई। प्रारंभिक परीक्षा पास करके वे बेंगलुरू के सेंट्रल कॉलेज में पढ़ने गये। इंजीनियरिंग की अंतिम परीक्षा में उन्होंने व
सुभाष चंद्र बोस और आज का भारत, योजना आयोग नेताजी की परिकल्पना थी
सुभाष चंद्र बोस प्रकृति से साधु, ईश्वर भक्त तथा तन एवं मन से देशभक्त थे। महात्मा गाँधी के नमक सत्याग्रह को नेपोलियन की पेरिस यात्रा की संज्ञा देने वाले सुभाष चंद्र बोस का एक ऐसा व्यक्तित्व था, जिसका मार्ग कभी भी स्वार्थों ने नहीं रोका, जिसके पाँव लक्ष्य से पीछे नहीं हटे- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्म दिन (जन्म-23 जनवरी, 1897, कटक, उड़ीसा; मृत्यु-18 अगस्त, 1945, भारत) पर हम अपने आसपास घट रही घटनाओं पर नजर रखें तो सही समझ में आएगा कि नेताजी के विचारों की देश को किस तरह आज भी जरूरत है।
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