जानें भूकंप को कैसे मापते हैं और क्या होता है रिक्टर स्केल

दरअसल, रिक्टर स्केल भूकंप की तरंगों को मापने का एक गणितनीय पैमाना है। किसी भूकंप के समय भूमी के कंपन के अधिक्तम आयाम और किसी आर्बिट्ररी छोटे आयाम के अनुपात के साधारण गणित के रिक्टर पैमाना कहते हैं। इस रिएक्टर पैमाना का विकास 1930 में किया गया था। भूकंप जहां से उठता है उस प्वाइंट को केंद्र या हाइपो सेंटर कहते हैं। भूकंप की तीव्रता को मापने के कई तरीके हैं। पहली व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली विधि, रिक्टर स्केल को 1934 में चार्ल्स एफ रिक्टर द्वारा विकसित किया गया था। इसने एक विशेष प्रकार के भूकंप पर दर्ज सबसे बड़ी लहर के आयाम और भूकंप और भूकंप के बीच की दूरी के आधार पर एक सूत्र का उपयोग किया। यह पैमाना कैलिफोर्निया के भूकंपों के लिए विशिष्ट था; अन्य आयामों, तरंग आयामों और भूकंप की कुल अवधि के आधार पर, अन्य स्थितियों में उपयोग के लिए विकसित किए गए थे और उन्हें रिक्टर के पैमाने के अनुरूप बनाया गया था। इस उपकरण से भूकंप की तरंगो को आंकड़ों में परिवर्तित किया जा सकता है। इसे 1-10 तक के अंकों के आघार पर वेग को नाप सकता है। जिसमें 1 सबसे कम की तीवृता दिखाता है तो वहीं 10 सबसे खतरनाक भूकंप के वेग को दर्शाता है। तीवृता के प्रभावों के बारे में बात करें तो, 4-4.9 की तीवृता में खिड़कीयां टूट सकती हैं, तो वहीं 5-5.9 वाली तीवृता में फर्नीचर हिलने लगते हैं और अगर भूकंप 7-7.9 की तीवृता वाला हो तो बिल्डिंग गिर जाती हैं। 8-8.9 में पुल तक गिर जाते हैं। और सबसे तेज़ भूकंप 9 की तीवृता से ऊपर होता है जिसमें ग्राउंड में खड़े इंसान को धरती लहराती दिख सकती है।


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