कुम्हारटोली में लौटी खोयी रौनक, शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा की अनुमति

गौर हो कि हाल ही में शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बताया था कि 12 फरवरी से कक्षा 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोल दिया जाएगा। कोविड-प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 16 फरवरी को स्कूलों में सरस्वती पूजा का आयोजन किया जा सकता है। हालांकि कॉलेज-विश्वविद्यालय अभी नहीं खुल रहे हैं, लेकिन कोविड-प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वे भी सरस्वती पूजा कर सकते हैं। शिक्षामंत्री से निर्देश मिलने के बाद ही विभिन्न स्कूलों व कॉलेजों में सरस्वती पूजा को लेकर तत्परता शुरू हो गयी है। कुम्हारटोली के मूर्तिकार भी काफी खुश हैं। ऐसे ही एक मूर्तिकार बाबू पाल का कहना है कि महानगर के कई बड़े-बड़े स्कूल व कॉलेज उनके पास से ही प्रतिवर्ष मूर्तियां खरीदते हैं। कोरोना वायरस के कारण स्कूल व कॉलेज बंद रहने की वजह से सबने सोचा था कि इस वर्ष सरस्वती पूजा का आयोजन नहीं किया जाएगा। इसलिए मूर्तिकारों को अग्रिम राशि भी काफी कम ही दी गयी थी। बाबू पाल का कहना है कि अन्य वर्ष देवी सरस्वती की करीब 200 मूर्तियां बनाते थे, लेकिन इस साथ 100 से कुछ अधिक मूर्तियां ही उन्होंने बनायी थी। उन्हें आशंका थी कि कहीं ये मूर्तियां भी ना बिकें। किन्तु अब स्कूल खुल जाने से वह डर चला गया है। अब लग रहा है कि थोड़ी और अधिक मूर्तियां बनानी चाहिए थी। इसके साथ ही मूर्तिकारों का कहना है कि केवल स्कूल-कॉलेज ही नहीं महानगर के विभिन्न कोचिंग सेंटर, गाने व नृत्य के स्कूलों में भी सरस्वती पूजा होती थी। स्कूलों में पूजा ना होने के कारण निर्णय लिया गया था कि इन स्थानों पर भी पूजा नहीं की जाएगी। अब जब स्कूलों को पूजा करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी है, कई कोचिंग सेंटरों ने भी पूजा करने का निर्णय लिया है। अब मूर्तियां खरीदने के लिए कोचिंग सेंटर से भी लोग कुम्हारटोली में जा रहे हैं। कुछ अन्य मूर्तिकारों का भी कहना है कि अनुमति मिलने के बाद ही कई स्कूल-कॉलेजों से मूर्तियां तैयार करने की अग्रिम राशि प्रदान कर दी गयी है। मूर्तिकारों का कहना है कि आमतौर पर लोग अपने घरों में पूजा करने के लिए जो मूर्तियां खरीदते हैं, स्कूल-कॉलेजों के लिए तैयार की जाने वाली मूर्तियों की ऊंचाई उससे अधिक होती है। इसके साथ ही मूर्तियों की सजावट व उसपर होने वाला खर्च भी अधिक होता है। मूर्तिकारों का कहना है कि ऐसी मूर्तियों को बेचने पर उन्हें अधिक मुनाफा होता है। किन्तु स्कूल-कॉलेज बंद रहने के कारण अधिक मू्र्तियां नहीं बनायी गयी थी। इतने कम समय में बड़ी मूर्तियों का निर्माण करना कितना संभव हो पाएगा, यह देखना होगा। इनका कहना है कि पूजा करने की अनुमति यदि कुछ दिनों और पहले दी गयी होती तो ज्यादा अच्छा होता। उन्हें कुछ अन्य जगहों से भी मूर्तियों का ऑर्डर मिल जाता। कुम्हारटोली में आमतौर पर इस समय सरस्वती पूजा को लेकर तैयारियां काफी तेज होती थी, लेकिन इस साल सब कुछ फीका-फीका सा लग रहा था। शिक्षा मंत्री से स्कूल-कॉलेजों में पूजा करने की अनुमति मिलने के बाद ऐसा लग रहा है मानों कुम्हारटोली की रौनक ही वापस लौट आयी है। हालांकि इस बार अन्य वर्षों की तूलना में छोटी मूर्तियां ही देखने को मिलने की संभावना अधिक है।


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