नाटक का हर किरदार निर्वस्त्र होते जा रहा

ज़ाहिर है जिस नाटक का आरम्भ इतना मज़ेदार हो, उसे हर उम्र का आदमी देखना पसंद करेगा। हम भी उन दर्शकों में शामिल हैं जो अपना दिल थामे नाटक के हर किरदार को रंगमंच पर निर्वस्त्र होते देश रहे हैं। अगर इसमें राज्य सरकार सिर्फ़ इतना जोड़ दे कि - यह नाटक वयस्कों के लिए है- तो यह इतना हिज हो जायेगा कि फिर तो कल के पैदा हुए बचचे भी नाटक देखना पसंद करेंगे। दूध के बदले उन्हें नाटक दिखाकर चुप कराना शायद ज़्यादा आसान हो जायेगा। युवक सपने देखना छोड़ कर नाटक में रम जायेंगे और मज़दूर नमक रोटी की जगह नाटक को देखकर अपनी भूख मिटा लिया गरेंगे। इसी बहाने मतिमंद जनता का थोड़ा मनोरंजन भी हो जायेगा। साथ ही जो लोग पृथक राज्य की मांग को लेकर लंगोट कस रहे तथा गोर्खालैंड के सौदागरों व राज्य सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी करने का प्रयास कर रहे हैं, नाटक को देखकर उनका भी मन डोल जायेगा। उनके कसे लंगोट के ढीले पड़ने की संभावना से हम कतई इनकार नहीं कर सकते। यह राय हमने अपने एक मित्र पुलिस पदाधिकारी को दी। सोचा कि वह हमारी राय से खुश होंगे। उन्होंने मेरी बात सुनी और अपना सिर हिला दिया। वह बोले, आपकी राय से समहम नहीं हूं। फिर तो नाटक पर अश्लीलता का आरोप लग जायेगा और हम यह नहीं चाहते कि हमारी और फ़ज़ीहत हो…। हम यहां अपने पाठकों को यह बताना चाहते हैं कि जो नाटक दिखाया जा रहा है वह पूरी तरह सत्य नहीं है। इसका रिहर्सल काफी पहले से किया जा रहा था। और अब जो घट रहा है वह भी काफी हद तक राज्य सरकार की पूर्व परिकल्पना के मुताबिक ही है। फिलहाल हम आपको इतना बता दें कि जिस किरदार को लेकर समतल व पहाड़ की धड़कनें बढ़ गयीं हैं वह जहां कहीं भी है सकुशल है और मेरी बात मानें तो खूब चिकन-चिली खा रहा है। अगर ईश्वर की कृपा हुई तो बहुत जल्द गोजमुमो के नेता सरकार से समझौता कर लेंगे और फिर निकल तमांग अपने बिल से सकुशल व सशरीर निकल आयेगा…। और फिर किसी देवदूत की तरह जनता के समख प्रकट हो कर कहेगा कि गोर्खालैंड विरोधियों की वजह से हमें इतना कष्ट उठाना पड़ा। बेचारी जनता पचास हजार रुपये की ईनाम-राशि पाने से सिर्फ़ वंचित ही नहीं होगी बल्कि मदन तमांग के हत्यारे को फूल-मालाओं से लाद देगी। सिर्फ़ देरी है गुप्त मसौदे पर हस्ताक्षर होने की। लेकिन मुझे यह नहीं लगता कि सुश्री ममता बनर्जी के रहते कॉ बुद्धदेव को यह अवसर मिलेगा। परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं। नाटक के नामुराद किरदार निकल को लेकर दर्शक बेहद उतावले हो रहे हैं। हालांकि हमें कोई जल्दबाजी नहीं है। हम समझते हैं, नाटक में अभी कई मोड़ आयेंगे। ऐसे कई अनावृत्त दृश्य हैं जो दर्शकों के उद्वेग को अनायास ही बढ़ा देंगे। इस नायाब नाटक् के किरदारों में दुर्योधन, दुःशासन तथा शकुनी भी शामिल हैं। गोर्खा-अस्मिता के चीर-हरण का दुर्लभ दृश्य देखा जाना अभी बाकी है। गोर्खालैंड आंदोलन के भीष्मपितामह की ठसक को लकवा मारने का दृश्याभास हमें अभी से हो रहा है। लाल सूरज भी बदरंग होता जा रहा…। अभी कई दृश्य देखने हैं आपको। आपसे हमारी एक गुज़ारिश है, आप नाटक का मज़ा अवश्य लीजिए मगर किसी भी दृश्य पर अपने मूल्यवान आंसू को मत लुढ़कने दीजिए। आप मतिमंद नहीं, बुद्धिमान हैं। यह समझने का यत्न कीजिए कि जो दृश्य आप देख रहे हैं, वह सच नहीं है। सत्य तो अभी अंकुरित हो रहा है। उसके प्रस्फुटि होने की प्रतीक्षा कीजिए…। हमें मालूम है नाटक का सच जब जनता के समक्ष आयेगा तब तक इसके कई किरदार अपना रंग पूरी तरह बदल चुके होंगे और दर्शक खुद को ठगा महसूस करेंगे। हमें बचपन में नाटक देखने का बड़ा शौक़ था। अब हमें लगता है कि बचपन का अनुभव बड़े काम का है। आप जानते हैं कि नचनिया दल मंच पर आते ही अपना खेल शुरू कर देता है। दल दो भागों में विभक्त हो जाता है और फिर एक-दूसरे की गर्दन पर वे तलवार भांजते हैं। चीखते-चिल्लाते हैं और फिर जंग शुरू कर देते हैं। नाटक को देख मतिमंद दर्शक आंसू बहाते हैं और नचनिया दल ठहाके लगाता है। मदन तमांग की हत्या, नकिल तमांग का गिरफ्तार होना और सीआईडी हिरासत से उसका अभिनव तरीके से अदृश्य होना सिर्फ़ एक नाअक है। नचनिया दल को यह लगता है कि अवाम मतिमंद है, वह कुछ नहीं समझ रहा। फिलहाल हम इतना ही कह सकते हैं कि इस नाटक का जिस दिन पटाक्षेप होगा उस दिना नाटक के सूत्रधार सफेद धेती-कुर्ता में नंदन में बैठ कर किसी अन्य नाटक के मार्मिक दृश्य पर आंसू बहा रहे होंगे…।


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