गोल्ड एक्सचेंज की हुई शुरूआत, जानिए कैसे बदलेगी देश की तकदीर

रेगुलेटर का काम करेगी सेबी --- बता दें कि बीते सोमवार को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में गोल्ड एक्सचेंज बनाने का ऐलान किया है, जिसके रेगुलेटर का काम सेबी करेगी। आसान भाषा में कहे तो जिस तरह से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक की ट्रेडिंग होती है। उसी तरह से गोल्ड की खरीद-फरोख्त की जा सकेगी। यानी गोल्ड के कारोबार को भी नया स्वरूप दिया जाएगा। भारत में आम निवेशक मुनाफा कमाने के लिए या तो स्टॉक मार्केट की तरफ भागना पड़ता हैं या फिर फिक्स्ड डिपॉज़िट करवाते हैं, लेकिन लोग निवेश तभी करते हैं, जब सब कुछ सामान्य हो, जब भी दुनिया की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता आती है तो ज्यादातर निवेशकों की पहली पसंद होती है सोना और इस बार सोना और चांदी की कस्टम ड्यूटी को घटाया गया है। केंद्र सरकार ने 12.5% से इसे कम करके 7.5% कर दिया है, तो वहीं वित्त मंत्री के ऐलान के बाद सोना 1,200 रुपये से ज्यादा सस्ता हो गया। भारत में 3 के सोने की मांग---- जानकारी के मुताबिक सोने की मांग 3 तरह से होती है। पहला गहनों के लिए, दूसरा निवेश के लिए और तीसरा केंद्रीय बैंक अपने पास रिजर्व रखने के लिए सोना खरीदते हैं। देश का आम आदमी कई सालों से सोने में निवेश करता आ रहा है। वो भी उस वक्त जब इसमें पारदर्शिता की भारी कमी है, जिसे दूर करने के लिए सरकार गोल्ड एक्सचेंज बनाने जा रही है। लेकिन, अब सवाल ये खड़ा होता है कि ये कैसे काम करेगा? क्योंकि सोना और चांदी में निवेश तो अभी भी किया जा रहा है। इसकी खरीद-फरोख्त तो अब भी होती है। फिर गोल्ड एक्सचेंज बनने के बाद क्या कुछ बदल जाएगा? सोने में निवेश पहले से ज्यादा भरोसेमंद कैसे हो जाएगा? सोने की तस्करी बड़ी समस्या---- सोने की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा था, जिसे कैश करवाने के लिए लोगों ने सोने में निवेश करना शुरू कर दिया, जिसे खरीदने के लिए सरकारी खजाने को कोरोना महामारी जैसे दौर में भी डॉलर खर्च करने पड़े, लेकिन सोने को लेकर क्रेज फिर भी कम नहीं हुआ, जिसने भीरत में सोने की तस्करी को आज के समय में बड़ी समस्या बना दिया है। जानकारी के मुताबिक कनाडा के NGO IMPACT के अनुसार भारत हर साल 1,000 टन सोना आयात करता है। 800 टन सोना तो टैक्स चुकाकर भारत में दाखिल किया जाता है, तो वहीं 200 टन सोने की तस्करी की जाती है। बता दें कि मौजूदा समय में हमारे देश में तकरीबन 25,000 टन सोना लोगों के पास रखा हुआ है। इसमें से 10-12 हजार टन सोना अमीर लोगों के पास है। यह सोना बैंक के लॉकरों या घर की अलमारियों में रखा हुआ है, लेकिन इस सोने का इस्तेमाल देश की अर्थव्यवस्था में नहीं हो पा रहा है। इस वक्त सरकार के पास बड़ी चुनौती ये है कि वो कैसे इस सोने का इस्तेमाल कर इससे जुड़ा पैसा अर्थव्यवस्था में पहुंचाया जाए, क्योंकि लॉकर या अलमारी में पड़ा सोना बिना इस्तेमाल हुए पैसे की तरह है। उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास एक किलो सोना है, जिसकी कीमत करीब 50 लाख के करीब है तो उसको गिरवी रखने पर तकरीबन 80% तक रकम मिलेगी, जिसे किसी कारोबार में लगाया जा सकता है या फिर कर्मचारियों को तनख़्वाहें दी जा सकती हैं। यानी लॉकर में बिना इस्तेमाल हुआ सोना पैसे में बदला जा सकता है जो लोगों के हाथों में पहुंचकर देश की इकॉनमी में जान डाल सकता है। इसीलिए सरकार की कोशिश है कि देश में बेकार पड़े सोने का इस्तेमाल हो, लेकिन इसके लिए गोल्ड के कारोबार में विश्वसनीयता को बढ़ाना होगा। आज का फैसला वैसा ही है।


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